आस्था, अंधविश्वास या चमत्कार मंदिरो में नंदी महाराज के पीछे दूध व पानी पिने का रहस्य आया सामने जानने के लिए पढ़े पुरी खबर :-

मध्यप्रदेश
आज मध्यप्रदेश में भगवान भोलेनाथ, गणेश जी और नंदी महाराज की प्रतिमाएं जल और दूध पी रही हैं। अब इसे आस्था कहे या अंधविश्वास, चमत्कार कहे या फिर कोई वैज्ञानिक घटना। प्रदेशभर के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लग गया है। हर कोई भगवान की प्रतिमाओं को चम्मच से जल और दूध पिला रहा है। लोगों का दावा है कि मूर्ति के सामने पानी या दूध रखने पर वो पी रहे हैं। धार, खंडवा, बड़वानी, खरगोन और आसपास के दूसरे शहरों से भी इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं। श्रद्धालुओं का दावा है कि मंदिर में भगवान की मूर्ति के सामने पानी या दूध रखते हैं तो वे पी रहे हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि गर्मी के दौरान पत्थरों में वैक्यूम पोर्च बन जाता है। इस वजह से प्रतिमाएं पानी पी रहीं हैं। गर्मियों में ऐसा आम है।
धार में चंबल किनारे भक्तों का हुजूम
धार के घाटाबिल्लोद में चंबल नदी किनारे स्थित महादेव मंदिर में शनिवार सुबह से भगवान भोलेनाथ जल पी रहे हैं। बड़ी संख्या में भक्त मंदिर पहुंचे और चम्मच से जल पिलाने लग गए। मंदिर में भोलेनाथ की मूर्ति के साथ ही गणेश जी की प्रतिमा और नंदी भगवान भी पानी पी रहे हैं। भगवान को पानी पिलाने के बाद भक्त जयकारा भी लगा रहे हैं।
धार के घाटाबिल्लोद में महादेव मंदिर में श्रद्धालु भगवान को पानी पिलाते हुए।
धार के घाटाबिल्लोद में महादेव मंदिर में श्रद्धालु भगवान को पानी पिलाते हुए।
खरगोन में कछुए ने पीया पानी
ऐसे ही खरगोन के काकड़ वाले शिव मंदिर में बने कछुए की प्रतिमा भी पानी पी रही है। वहीं झिरन्या के शिव मंदिर में भगवान नंदी की प्रतिमाएं भी दूध का भोग कर रहीं हैं।
बड़वानी में भी मंदिरों में लगी भीड़
वहीं बड़वानी के सेंधवा शहर के शिव मंदिरों में भी नंदी की प्रतिमा को पानी पिलाने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई। लोगों का दावा है कि भगवान नंदी की प्रतिमा पानी पी रही है। ऐसे में हर कोई नंदी भगवान को पानी पिलाने के लिए आतुर है। शहर के रामकटोरा, नालेपार, देवझिरी मंदिर सहित कई स्थानों पर पहुंचकर लोगों ने नंदी को पानी पिलाया। इसके अलावा महू, नागदा, नीमच, शुजालपुर, महेश्वर सहित मालवा-निमाड़ के कई शहरों और ग्रामीण इलाकों में यही हालत देखने को मिले।
सेंधवा शहर के शिव मंदिर में नंदी की
सेंधवा शहर के शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा को पानी पिलाते हुए श्रद्धालु।
बुरहानपुर में भी मंदिर में आए लोग
शनिवार दोपहर बुरहानपुर के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में काफी संख्या में महिला, पुरूष नंदी को पानी पिलाने पहुंचे। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम अंबाड़ा में भी महिलाएं नंदी को पानी पिलाते नजर आईं। यहां स्थित सिद्धेश्वर शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई। महादेव की पूजा अर्चना के बाद नंदी की भी पूजा, अर्चना की गई।
रतलाम
रतलाम में भी ऐसा ही चमत्कार
रतलाम में भी शनिवार को शिवालयों में भारी भीड़ उमड़ी। भोलेनाथ की सवारी नंदी द्वारा पानी और दूध पीने कि जानकारी जब भक्तों को मिली तो वे हाथों में जल और दूध लेकर मंदिरों में पहुंचे और अपने हाथों से नंदी को दूध और जल पिलाया। इस मौके पर शिवालयो में बाबा भोलेनाथ के जयकारे लगे। इसे आस्था कहे या अंधविश्वास , लोग इसे बाबा भोलेनाथ का चमत्कार मानकर दूध पिलाने शिवालयों में पहुंच रहे है। श्रृद्धालु इसे महादेव का चमत्कार मान रहे है।
रतलाम के मंदिरों में भी लोगों ने पीया पानी।
रतलाम के मंदिरों में भी लोगों ने पीया पानी।
देवास में दूध पिलाने के लिए होड़
देवास में नंदी महाराज के दूध और जल पीने की सूचना के बाद शहर सहित आसपास के क्षेत्रों के शिव मंदिरों में महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कई महिलाएं शिव मंदिरों में अपने घर से दूध और पानी लेकर पहुंची और नंदी भगवान को जल और दूध ग्रहण कराने के लिए घंटों तक मंदिरों में बैठी रहीं।
मंदसौर में भी चमत्कार
मन्दसौर जिले में दोपहर में अचानक मंदिरों में भगवान की प्रतिमाओं के पानी पीने की जानकारी के बाद जिले भर के मंदिरों में भक्तो की भीड़ लग गई। भगवान के प्रतिमाओं के पानी पिने की सूचना जिले में आग की तरह फैल गई। कुछ ही देर में जिले में मंदिरों-शिवालयों में श्रद्धालुओ का तांता लग गया।
छिद्र के कारण हुआ ऐसा
सेंधवा के शासकीय पीजी कॉलेज में रसायन विभाग के प्रोफेसर महेश बाविस्कर का कहना है कि यह धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ प्रश्न है। बावजूद इसके, विज्ञान की दृष्टि से पत्थरों में वैक्यूम पोर्च(निर्वाद छिद्र) उत्पन्न हो जाते हैं और गर्मी के दौरान पानी का पृष्ठ तनाव भी कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में ऐसा होना बिल्कुल सामान्य है। वहीं शासकीय पीजी कॉलेज के फिजिक्स के विभाग प्रमुख डॉक्टर बीडी श्रीवास्तव का कहना है कि भगवान की प्रतिमाएं पत्थर की होती हैं। पत्थर में बारीक-बारीक नलिकाएं होती हैं। पानी में सरफेस टेंशन के कारण पानी पत्थर की नलिकाओं में चला जाता है। यह वैज्ञानिक कारण सामने आया है।