इतिहास के पन्नों में कई महान वैज्ञानिकों के नाम नहीं है दर्ज: प्रोफ़ेसर परांजये। मेवाड़ विश्वविद्यालय स्तर पर संकलित किया जा रहा डाटा: कुलाधिपति गदिया

इतिहास के पन्नों में कई महान वैज्ञानिकों के नाम नहीं है दर्ज: प्रोफ़ेसर परांजये
मेवाड़ विश्वविद्यालय स्तर पर संकलित किया जा रहा डाटा: कुलाधिपति गदिया
चित्तौड़गढ़ । मेवाड़ विश्वविद्यालय में “आजादी के अमृत महोत्सव” के उपलक्ष्य में शनिवार को मेवाड़ विश्वविद्यालय और विज्ञान भारती के संयुक्त तत्वाधान में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय “भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में वैज्ञानिकों का योगदान” था। इस मौके पर विज्ञान भारती का परिचय कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मनोहर लाल कालरा ने दिया ।
संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए अजमेर के डीएवी महाविद्यालय के भौतिक विज्ञान के सेवानिवृत्त प्राध्यापक एवं विज्ञान भारती राजस्थान क्षेत्र के संरक्षक प्रोफेसर पुरुषोत्तम परांजये ने विषय पर बोलते हुए कहा कि आज हम सी. वी रमन और प्रफुल्ल चंद्र राय जैसे कुछ विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिकों का नाम जानते हैं लेकिन बहुत से देश के महान वैज्ञानिक ऐसे रहे है जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के समय में पर्दे के पीछे रहकर अपनी भूमिका निभाई है। उनमे से कुछ ही वैज्ञानिकों का नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज है । इस मौके पर उन्होंने कई ऐसे उदाहरण और प्रसंग भी सुनाए जो वैज्ञानिक से संबंधित थे कि किस प्रकार अंग्रेजों ने उस समय भारतीय वैज्ञानिकों के कार्यों को अपना बताकर दुनिया के सामने प्रस्तुत किया और इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया। इस मौके पर मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ अशोक कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि अपने देश के वैज्ञानिकों के योगदान की वजह से ही आज हम कोरोना जैसी महामारी से बाहर निकल पाए । आज हम कुछ ही वीरांगनाओं जैसे महारानी लक्ष्मीबाई और रानी चेनम्मा आदि के नाम को जानते हैं लेकिन उस समय बहुत सी ऐसी वीरांगना भी रही जिन्होंने स्वतंत्रता के आंदोलन में बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाई, लेकिन उनके नाम को कोई नहीं जानता है । इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मैं स्वयं अपनी देखरेख में विश्वविद्यालय स्तर पर ऐसी वीरांगनाओं और महापुरुषों की स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े इतिहास का संकलन करा रहा हूं ताकि भावी युवा पीढ़ी भी उनके बारे में जान सके । इस मौके पर मेवाड़ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आनंदवर्धन शुक्ला ने कहा कि वर्तमान में जो भारत की छवि इतनी अच्छी बन हुई है वो भारतीय लोगों की मेहनत का ही परिणाम है कि वे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लम्बे समय से अपना परचम लहरा रहे हैं। अमेरिका ब्रिटेन और अफ्रीकन देशो समेत दुनिया के कई देशों में वह न केवल राजनीतिक क्षेत्रों में बल्कि कई मल्टीनेशनल कंपनी में भी ऊंचे पदों पर आसीन है । संगोष्ठी का समापन मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आलोक मिश्रा ने किया और इस दौरान उन्होंने मेवाड़ विश्वविद्यालय की कई खूबियां भी गिनाई । इसके अलावा संगोष्ठी में राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनीष श्रीमाली और कोटा विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ नारायण हेड़ा भी मौजूद रहे मेवाड़ विश्वविद्यालय की तरफ से कुलपति प्रोफेसर सर्वोत्तम दीक्षित, डीन डॉ चित्रलेखा सिंह, गाजियाबाद मेवाड़ संस्थान की डायरेक्टर डॉ अलका अग्रवाल आदि मौजूद रहे।