केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (सीबीएन) ने कुख्यात तस्कर जयकुमार उर्फ बाबू प्रकरण में किया चालान पेश, 10 आरोपी बनाए, इसमें से 6 जेल के अंदर, 4 फरार

नीमच। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, सीबीएन ने एक साल बाद कुख्यात तस्कर जयकुमार उर्फ बाबू सिंधी के प्रकरण में चालान कोर्ट में पेश कर दिया है। करीब 1630 पेजीय चालान पेश हुआ, जिसमें कई नाम और सामने आए है, जिसमें सीबीएन ने उन्हें आरोपी बनाया है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ने 26 अगस्त 2021 को बाबू सिंधी के गोंदाम में दबिश देकर भारी मात्रा में अफीम कालादाना, धोलापाली, डोडाचूरा जब्त किया था। करीब 25 टन अवैध मादक पदार्थ के मामले में मौके से बाबू सिंधी और उसके मुनिम को गिरफ्तार किया था। सालभर तक इस मामले की जांच पडताल सीबीएन ने की। एक—एक तथ्य पर जांच चली। कॉल डिटेल्स से लेकर कई पहलुओं पर जांच हुई। नीमच में अब तक बडी कार्रवाई सामने आई है। एक अंतर्राष्ट्रीय तस्कर गिरोह को सीबीएन ने खत्म किया। कल कोर्ट में चालान पेश कर सीबीएन ने जांच खुली रखी है। इस मामले में और आरोपी बन सकते है। जैसे—जैसे नाम सामने आएगे, वैसे—वैसे आरोपी बढते जाएंगे।
ये है जेल में बंद आरोपी—
1. जयकुमार उर्फ बाबू सिंधी पिता तोलाराम सिंधी निवासी स्कीम नंबर 36 बी, नीमच
2. अनुराग पिता चेतन ऐरन निवासी स्कीम नंबर 36 बी, नीमच।
3. राजेंद्र शर्मा उर्फ राजू पिता लक्ष्मीनारायण शर्मा निवासी भंवरासा।
4. अशोक पिता रामेश्वर डांगी निवासी कोटडामाता तहसील सीतामउ जिला मंदसौर।
5. कैलाशचंद्र पिता रामस्वरूप गदिया निवासी तापडियों का मोहल्ला, बस्सी तहसील जिला चित्तोडगढ राजस्थान।
6. पकज पिता स्वर्गीय रामदयाल कुमावत, बर्खाश्त आरक्षक, इंदिरा नगर नीमच।
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ये आरोपी फरार—
1. सौरभ पिता सरदारसिंह कोचटटा निवासी नीमच सिटी
2. प्रकाश उर्फ गोलू मोटवानी निवासी प्रताप मार्ग नीमच
3. विनोद गुर्जर पिता लक्ष्मीचंद गुर्जर निवासी झालरी थाना नीमच सिटी
4. शिवचरण उर्फ भाया पिता कैलाशचंद्र गुर्जर निवासी मेलकी थाना नीमच सिटी।
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बाबू सिंधी की तमाम संपत्ति पर हुई सफेमा की कार्रवाई
इधर केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ने कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी, उसकी पत्नी और बर्खाश्त आरक्षक पंकज कुमावत की संपत्ति पर सफेमा की कार्रवाई के लिए सफेमा कोर्ट मुंबई से अनुमति ले ली है। करीब 25 करोड रूपए की चल—अचल संपत्ति पर सफेमा की कार्रवाई हुई है। बाबू और उससे जुडे हुए मंडी के कुछेक व्यापारियों द्वारा पार्टनरशिप में खरीदी गई जमीन भी इसमें शामिल है।