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चुनाव पास आते ही फिर से बाहरी नेताओं की विधानसभा क्षेत्रों में बढ़ती चहलकदमी

पवन शर्मा

हर बार की तरह इस बार भी बाहरी नेताओं ने फिर से नीमच जिले की विधानसभाओं में चहलकदमी शुरू कर दी है। हर बाहरी नेता सिर्फ रसूक और दौलत के दम पर जनता का हितेषी बनने के दांव पेंच लगा रहा है। इन्हें 4 साल तक जनता से कोई सरोकार नही रहता बस जैसे ही चुनाव नज़दीक आते है, ये चकाचक सफेद झब्बे पायजामे पहनकर महंगी कारों में 4 पट्ठों को लाद कर निकल पड़ते है अपनी नेतागिरी चमकाने। 

खास तौर पर जावद विधानसभा क्रं 230 इस तरह के नेताओं की पहली पसंद रहती है। चुनाव के नजदीक आते ही कलेक्टर को दो चार लोगों के साथ जा कर ज्ञापन देकर खुद के रखे आदमियों से बड़े बड़े प्रेसनोट जारी कर अपने आप को झुझारू नेता साबित करते दिखते है।

स्थानीय नेता रात दिन तो जनता के बीच रहकर उनके सुख-दुख के साथी रहते है। पर ये बाहरी नेता सिर्फ one year short term प्लान लेकर मैदान में जोर आजमाइश करने उतर जाते है। भोपाल में आलाकमान के आगे पीछे घूम कर टिकट की जुगाड़ में चार फ़ोटो दिखाकर जनता के हमदर्द बनने के प्रयास करते है। 

ऐसा ही हाल मनासा में भी है, वहाँ भी बाहरी नेताओं का जमघट विधानसभा चुनाव के समय लगता है। यहाँ भी सिर्फ टिकट के लिए जोर आजमाइश की फिराक में स्थानीय चमचों के भरोसे दुकान सजाने की जद्दोजहद की जाती है। 

देखा जाए तो इन्हें वास्तव में किसी से कोई लेना देना नही होता बस दिखावा करके टिकट पाने की मंशा मात्र इनका टारगेट होता है। टिकट मिला तो ठीक नही तो जनता जनता के घर और ये इनके घर पहुंच जाते है।

 

खेर भारत मे सभी को स्वतंत्रता व चुनाव लड़ने का अधिकार रहता है। जिसकी चव्वनी चल जाए वो ही राजा। देखते है इस बार कितने कूदते है मैदान में….

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