धर्म/कर्म

दीपावली आई परंतु श्री लक्ष्मी न आई, क्यों- आशा दीदी

दीपावली आई परंतु श्री लक्ष्मी न आई,  क्यों- आशा दीदी

चित्तौड़गढ़(अमित कुमार चेचानी)।  हर वर्ष दिवाली आने पर भारत के लोग प्राचीन रीति के अनुसार मुख्य रूप से पांच प्रकार से दीपावली मनाते हैं।  एक तो वह घर की खूब सफाई करते घर को डेकोरेट करते दूसरे दिन खूब रोशनी करते दीपक जगाते घर के कोने कोने को प्रज्वलित करते और श्री लक्ष्मी देवी से प्रार्थना अर्चना करते कि वे उनके घर में पधारे तीसरा वह अपने पुराने वही खाते रजिस्टर बंद करके नहीं वही खाता खोलते चौथा वे दीपावली के दिन दीपदान करते। क्योंकि मैं इसका बहुत बड़ा महत्व मानते हैं। परंतु हम देखते हैं की दीपावली हम हर वर्ष मनाते हैं साधक लोग साधना करते हैं परंतु ना तो भारत के लोगों के हृदय रोशन हो रहे हैं और ना ही भारत में श्री लक्ष्मी का आगमन हुआ है। श्री लक्ष्मी के आह्वान में इतना पुरुषार्थ करते फिर भी भारत में श्री लक्ष्मी और श्री नारायण के राज्य के दिन नहीं आए हैं। यहां सुख समृद्धि का वातावरण नहीं बना इसका कारण क्या है यह विचार ब्रम्हाकुमारी सेवा केंद्र प्रताप नगर राजयोगिनी आशा दीदी जी ने आज दिवाली के महोत्सव पर प्रातः क्लास में सभी भाई बहनों को दीपावली की बधाई देते हुए उन्होंने कहा श्री लक्ष्मी का आह्वान करने पर भी भारत गरीब क्यों हैं श्री लक्ष्मी का आह्वान करने की विधि परमपिता परमात्मा की याद द्वारा हम मन की सफाई करें। ज्ञान अमृत द्वारा अपने बुद्धि की शुद्धि और स्वयं को एक आत्मा समझते हुए दृष्टि तथा वृत्ति की पवित्रता परमात्मा की याद से ही आत्मा दूषित विकारों काम करो दादी का नाश होता है और स्वयं को आत्मा निश्चय करने से स्वास्थ्य मानव आत्मा में स्थित का लाभ होता है। जीवन में तन मन धन वचन और कर्म की पवित्रता को अपनाने से ही सुंदरता के पक्ष का उत्थान होता है। क्योंकि कहा गया है कि सुंदर वह है जो सुंदर कर्म करता है दूसरे प्रकार से मन रूपी मंदिर आस्था घर में आत्मा रूपी दीपक की बुझीनी बत्ती को सदा जागती जोत परमात्मा शिव के साथ लगाकर ही रोशन करें जब हर मानव आत्मा की आत्मा रूपी ज्योति जग जाएगी तभी सच्ची दीपमाला है और तभी श्री लक्ष्मी जी इस पृथ्वी पर पधार सकती है। तीसरा हम पुराने भी कर्मों के बुरे कर्मों के बही खाते को साफ करने के लिए एक परमात्मा की याद ज्वाला स्वरूप और नित्य समय प्रति समय कर्म करते हैं उनको याद करें कर्मों की अच्छाई बुराई होती लाभ हानि की जांच करते रहे । चौथा दूसरी मनुष्य आत्माओं को भी ईश्वरी ज्ञान और परमात्मा की याद रुपए दीपक का दान देना इससे ही संसार में उजाला फैलेगा पांचवी बाद परमात्मा हम एक महामंत्र देते हैं।  मन मना भव  यानी परमात्मा में मन लगाकर आत्म में टिकने से ही हम ज्ञान का पूरा लाभ ले सकते हैं। इस प्रकार से श्री लक्ष्मी जी अवश्य ही इस धरा पर पधारे कि यह निश्चित है हमें अत्यंत खुशी हैं कि सदा जागृति ज्योति परमात्मा शिव  स्वयं अवतरित होकर हम मनुष्य आत्माओं से यह शुभ कार्य करवा रहे हैं कि यह मेरी आत्मा रूपी ज्योति आत्माएं मेरी याद से सदा जगमगाती रहे और अनेक आत्माओं को जगाती रहे , जो कि आज अज्ञान अंधकार की नींद में सो चुकी है तो स्वयं का आत्मा रूपी दीपक जगा रहे।  इसी प्रकार से आज दीपावली का पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया। सेवा केंद्र पर आने वाले सभी भाई बहनों ने दीप जगाए और यह संकल्प लिया कि जैसे हम आत्माओं का दीप जगा है हमारा ज्ञान का प्रकाश शक्तियों का प्रकाश फैला है वैसे हम भी अन्य आत्माओं का दीप जलाएंगे।  जब सब आत्माओं का दीप जग जाएगा तो सहज ही वह नवयुग देवी दुनिया दुनिया स्वर्णिम दुनिया पुनः इस धरा पर आएगी और यह भारत फिर से स्वर्णिम संसार स्वर्ग बन जाएगा और फिर श्री लक्ष्मी और श्री नारायण का राज्य फिर से भारत भूमि पर बहुत ही जल्द आएगा जिसका हम सबको इंतजार है। 

Related Articles

Back to top button