धर्म/कर्म
नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के अंतिम दिन उमड़ा आस्था का सैलाब

- रामपुरा (दुधलाई) राम से अधिक राम के दास की उक्ति चरितार्थ होती है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम स्वयं कहते हैं, जब लोक पर कोई विपत्ति आती है तब वह त्राण पाने के लिए मेरी अभ्यर्थना करता है, परंतु जब मुझ पर कोई संकट आता है तब मैं उसके निवारण के लिए पवनपुत्र हनुमान का स्मरण करता हूं। सत्य की हमेशा विजय होती है। भगवान श्री राम ने सत्य को स्थापित करने के लिए रावण का वध किया। भगवान श्रीराम की कथा हमारे चरित्र चिंतन को और बदलने वाली है, यदि हम अपने जीवन में कुछ बदलाव नहीं ला पाए तो श्रीराम कथा सुनने का और सुनाने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है। श्रीराम कथा के माध्यम से व्यक्ति को अपनी बुरी आदतों को बदलने का प्रयास करना चाहिए। हमारी धार्मिक पहचान हम लोग थोड़े से लोभ में पड़कर बदल देते हैं। उक्त विचार रामपुरा तहसील मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम दूधलाइ हनुमान मंदिर प्रांगण में जारी नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के अंतिम दिन राष्ट्रीय संत परम पूजनीय मिथिलेश जी नागर के मुखारविंद से जारी संगीतमय रामकथा में गुरुदेव ने कहां कि सत्संग का श्रवण, माता-पिता की सेवा, गुरुजन का सम्मान, गोमाता का वास तथा ईश्वर का स्मरण जिस घर-परिवार में हो, वह स्वर्ग के समान है। श्रीराम कथा मनुष्य मन को मर्यादा व पुण्य के प्रेम को सिखाती है। भगवान श्रीराम की कथा भक्त को भगवान से जोड़ने की कथा है। यह कथा मानव जीवन का सार अंश है। परमानंद तत्व की प्राप्ति का श्रेय श्रीराम कथा है। पुत्र ऐसा हो, जो माता-पिता, समाज व देश की सेवा करें। भगवान की कथा हमें बताती हैं कि संकट में भी सत्य से विमुख न हो व अपने वचन का पालन करें। राम नाम तो कण-कण में व्याप्त है। बिना सत्संग के मानव का जीवन अधूरा है, जो भक्त श्रीराम कथा का श्रवण करेगा, उसका जीवन सफल हो जाएगा। परमात्मा की निकटता पाने के लिए हमारे भीतर सत्य, प्रेम व करूणा का भाव होना जरूरी है। राम नाम का सहारा लो। इन तीनों का आपके जीवन में जरूर प्रवेश होगा। राम परम तत्व हैं। राम से ही कई विष्णु प्रकट होते हैं। उन्होंने कहा कि छूआछूत व भेदभाव कभी मत करना। सभी मनुष्य समान हैं। राम भीलनी शबरी के घर गए और अहिल्या को भी तारा। युवाओं को सीख दी कि वे बुजुर्गों का सम्मान l को सुधारने की अपेक्षा स्वयं सुधरने का प्रयास करें। कथा पंडाल में रामपुरा नगर सहित आसपास के सभी ग्रामीण क्षेत्र से बहु संख्या में भक्तजन कथा पंडाल में पधारे जहां कथा समाप्ति पर परम पुनीत रामायण महाकाव्य की आरती उतारकर कथा का समापन किया गया एवं सभी भक्तजनों को प्रसाद वितरण किया गया