नीमच

प्राचार्य की हिटलर शाही से बच्चे सहित स्टाफ हो रहा परेशान नंदलाल जांगड़े की तुगलक वादी नीति से विद्यालय की व्यवस्थाएं हो रही चौपट

रामपुरा तहसील मुख्यालय के अंतर्गत आने वाले बैंसला संकुल के प्राचार्य की कार्यप्रणाली इन दिनों सुर्खियों में नजर आ रही है प्राचार्य नंदलाल जांगड़े की हठधर्मिता इन दिनों इतनी बढ़ गई है कि वह अपने आप को कलेक्टर साहब से कम नहीं समझते हैं जिसको लेकर वह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी करते नजर आ रहे हैं मिली जानकारी के अनुसार बेसला संकुल विद्यालय के प्राचार्य की कार्यशैली के चलते संकुल मुख्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है कहने को विद्यालय संकुल है परंतु उक्त विद्यालय में बच्चों को मूलभूत सुविधाएं पीने का पानी एवं सुविधा घर जैसी व्यवस्था भी उपलब्ध नहीं है वही विद्यालय में शिक्षा का यह आलम है कि विद्यालय में 12 अतिथि शिक्षक के सहारे विद्यालय का शिक्षण कार्य चल रहा है एवं विद्यालय प्राचार्य द्वारा अपने अधीनस्थों को अतिथि अध्यापक में नियुक्ति देकर लाभ पहुंचाने की दृष्टि से अन्य अतिथि विद्वानों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है जिसको लेकर अतिथि शिक्षकों में रोष व्याप्त है वही विद्यालय में बालिकाओं के लिए बना सुविधा घर हमेशा ताला लगा रहता है एवं बालिकाओं को प्रसाधन के लिए अत्यंत दुर्गम रास्ते से विद्यालय के पीछे जीर्ण  शीष अवस्था में स्थित ढांचे में प्रसाधन ग्रह का उपयोग करना पड़ रहा है जिसमें गंदगी का यह आलम है कि महीनों हो गए सुविधा घर में साफ सफाई नहीं हो पाई है वही विद्यालय में स्थित वाचनालय केवल नाम मात्र का होकर शो पीस बना हुआ है एवं खेल गतिविधि के नाम पर भी बच्चों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है विद्यार्थियों का कहना है कि प्राचार्य महोदय द्वारा हमें मूलभूत व्यवस्था उसे भी मरहूम रखा जा रहा है एवं शासन द्वारा विद्यालय के रखरखाव के निमित्त जो मद प्राप्त होता है उसका उपयोग प्राचार्य स्वयं के लिए कर रहे हैं जिसके कारण विद्यालय की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है वहीं विद्यालय के कमरों में पर्याप्त प्रकाश एवं पंखों की व्यवस्था तक नहीं है जबकि विद्यालय को संकुल का दर्जा प्राप्त है रामपुरा पठार क्षेत्र दूरदराज गांव से बैंसला संकुल तक बच्चे 4 किलोमीटर पदयात्रा कर विद्यालय पहुंचते हैं बच्चों का कहना है कि हमें विद्यालय की ओर से ना तो साइकिल मिली है नहीं पुस्तकें दी जा रही है नहीं हमें विगत 2 वर्षों से छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है विद्यालय प्राचार्य की कार्य के प्रति उदासीनता के चलते बच्चे विद्यालय छोड़ने का मन बना रहे हैं बच्चों का कहना है कि विद्यालय में मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है ऐसे में हम अपना अध्यापन कार्य कैसे करें

 

 

 

अतिथि शिक्षकों का कहना है

विद्यालय में अध्यापन कार्य करने वाले अतिथि शिक्षकों का कहना है कि हम बराबर विद्यालय में अपनी उपस्थिति दे रहे हैं फिर भी विद्यालय प्राचार्य द्वारा हमें 21 दिन का वेतन दिया जा रहा है जबकि हम 25 दिन बराबर उपस्थित होकर अध्यापन कार्य कर रहे हैं जबकि प्राचार्य के अधीनस्थ दो अतिथि शिक्षक विद्यालय में कभी-कभार ही अध्यापन के लिए आते हैं फिर भी उनको बराबर वेतनमान दिया जा रहा है प्राचार्य द्वारा उन को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से हमारा वेतन काटा जा रहा है

 

 

विद्यालय के बच्चे

हमारे विद्यालय में मूलभूत सुविधाएं जैसे पेयजल सुविधा घर लाइट पंखे वाचनालय खेलकूद के सामान जैसी सुविधाएं केवल नाम के लिए है हमने कभी भी इन सुविधाओं का उपयोग नहीं किया है साक्षी विद्यालय के सारे कमरे बारिश में पानी टपकने के कारण हमारा अध्यापन कार्य प्रभावित होता है हमें एवं हमें खुले में बैठकर पढ़ना पड़ता है शासन द्वारा विद्यालय को प्रतिवर्ष विद्यालय के रखरखाव के निमित्त जो मदर प्राप्त होता है उस मदर का उपयोग विद्यालय प्राचार्य द्वारा स्वयं के लिए किया जाकर विद्यालय में नहीं किया जाता है

 

विद्यालय प्राचार्य का कहना है

विद्यालय में पेयजल की समस्या को लेकर मैंने पाइप एवं अन्य सामान मंगवाया है साथ ही अतिथि शिक्षकों का रजिस्टर शिक्षकों द्वारा छुपा दिया गया था जिसके कारण मैंने सभी को एक समान रखते हुए 21 दिन का वेतनमान सभी अतिथि शिक्षकों को मैं दिया है वही वाचनालय में रखी पुस्तक के बच्चों द्वारा चोरी कर ली जाती है जिसको लेकर पुस्तके वाचनालय से हटाकर मैंने अपनी अलमारी में रखी हुई है

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