राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् प्रायोजित मेवाड़ विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् प्रायोजित मेवाड़ विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
शिक्षक वही है जो विद्यार्थियों में नवाचार का प्रसार करेः प्रो. पी. प्रकाश
उच्च शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने होगें शोध उच्चानुशीलन केन्द्रः प्रो0 वाणी लातुरकर
चित्तौड़गढ़/गंगरार(अमित कुमार चेचानी)। शिक्षक वही है जो विद्यार्थियों में नवाचार का प्रसार करे। उक्त बातें राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् द्वारा प्रायोजित मेवाड़ विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेब-संगोष्ठी के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि डाॅ. भीमराव अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, हैदराबाद के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पी. प्रकाश ने कही। उन्होंने मेवाड़ विश्वविद्यालय द्वारा गरीब विद्यार्थियों के लिये सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कराने के प्रयासों की सराहना की। समापन समारोह की अध्यक्षता अकादमिक निदेशक डाॅ. ध्वज कीर्ति शर्मा ने की। समापन समारोह को मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाॅ. अशोक कुमार गदिया एवं कुलपति प्रो. (डाॅ.) आलोक मिश्रा ने भी सम्बोधित किया। इसके पूर्व राष्ट्रीय संगोष्ठी के तीसरे सत्र में प्रो. एम.डी. जागीरदार ने नैक मूल्यांकन की तैयारियों के मद्देनजर विचार रखते हुए कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध को बढ़ावा देने के लिए सीड मनी की भी व्यवस्था करनी चाहिए। डाॅ. के अनुराधा ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों को रिसर्च डेवलपमेन्ट कमेटी का भी गठन करना चाहिए। डाॅ. श्याम सुन्दर शर्मा ने आॅनलाईन संसाधनों के उपयोग पर अपने विचार रखे। उन्होंने मूक्स कोर्स, ई-लाईब्रेरी, वर्चूअल लैब्स पर ध्यान देने की जरूरत बताई। तीसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता इंजीनियरिंग संकायाध्यक्ष डाॅ. ए. आर. राजा ने की।
चौथे सत्र में शिक्षण संस्थानों और शिक्षकों-शोधार्थियों के सम्बन्धों पर विचार रखते हुए प्रो. वाणी लातूरकर ने कहा कि संस्थानों को शोधार्थियों के साथ पितृवत व्यवहार बनाये रखना चाहिए जिससे कि वे रचनात्मकता के साथ शोध में अपना शत-प्रतिशत दे सकें। प्रो. वेंकट वी.पी.आर.पी ने नैक मूल्यांकन के महत्व को बताते हुए कहा कि शिक्षकों को निरन्तर पब्लिकेशन, पेटेन्ट और शोध के लिए प्रयासरत रहना होगा। प्रो. के. झांसी रानी ने शिक्षा और शोध में आने वाली चुनौतियों और उसकी तैयारियों के बारे में अपनी बात रखी। चौथे सत्र की अध्यक्षता मेवाड़ विश्वविद्यालय के रिसर्च एथिकल कमेटी के वाईस चेयरमैन डाॅ. गुलजार अहमद ने की। पाँचवे सत्र में प्रो. मीना कपाही ने नैक मूल्यांकन के रोडमैप पर चर्चा की। इस सत्र की अध्यक्षता कार्यक्रम के सह-समन्वयक डाॅ. एसार अहमद ने की। इस कार्यक्रम को सफल आयोजन में मेवाड़ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पी. रमैया का मार्गदर्शन अहम रहा। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की सम्पूर्ण रिपोर्ट पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डाॅ. सुमित कुमार पाण्डेय ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी की समन्वयक वन्दना चूण्डावत ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी के संयोजक और मेवाड़ विश्वविद्यालय के आई.क्यू.ए.सी. समन्वयक डाॅ. जितेन्द्र वासवानी ने दिया।