होम

सुखी जीवन का आधार गीता का सार -आशा दीदी

सुखी जीवन का आधार गीता का सार -आशा दीदी 

चित्तौड़गढ़(अमित कुमार चेचानी)। दिनांक 10 नवंबर को विशेष गीता जयंती का पर्व ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय माउंट आबू के साथ-साथ सभी सेवा केंद्रों पर भी मनाया जा रहा है। गीता जयंती ही त्रिमूर्ति शिव जयंती है, गीता के भगवान की जयंती है, यह विचार ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र प्रताप नगर पर राजयोगिनी आशा दीदी जी ने उच्चारण किए उन्होंने कहा कि गीता का संदेश है अत्याचार और अन्याय करने वालों को सजा धर्म ही देता है।  श्रीमद्भगवद्गीता हमें फल की इच्छा किए बिना कर्म करना सिखाती है।  वर्तमान समय की परिस्थितियों के प्रमाण हमें अपने कर्मों पर अटेंशन देने की आवश्यकता है लोगों को लगातार अच्छा कर्म करने के लिए निरंतर सकारात्मकता की ओर ले जाने के लिए गीता ही एकमात्र माध्यम है, क्योंकि गीता में कहा गया है कि जो भक्त आसक्ति और अहंकार से मुक्त धैर्य और उमंग उत्साह से भरा होता है वह सदा खुश रहता है।  मनुष्य स्वयं ही अपना मित्र और अपना शत्रु है जब स्वयं को जान लेता है पहचान लेता है तो वहां मित्र शत्रु मान अपमान सुख दुख निंदा और स्तुति में समान भाव रखता है और वही प्रभु को प्रिय होता है। गीता का ज्ञान प्राप्त कर जीवन को सुखमय बनाने का मार्ग प्रशस्त करती हैं।  अपने जीवन में गीता ज्ञान को आत्मा साफ कर लेना चाहिए वही सदैव दुखों से चिंताओं से मुक्त रह सकते हैं।  सदैव याद रखें कि प्रभु परिवार परमात्मा का बनाया हुआ बहुत सुंदर गार्डन है और हर एक मनुष्य आत्मा माली है, माली बनकर अच्छे संकल्पों से पानी डालें और सदैव सोचे कि हम जो हैं जैसे भी हैं प्रभु को प्यारे हैं सबको निस्वार्थ भाव से प्रेम भाव से शुभकामनाएं शुभ भावनाएं देते रहे सबको दुआएं देते रहे क्योंकि जो हम देते हैं वही हमारे पास वापस लौट कर आता है। आपकी सकारात्मक वाइब्रेशन दूर-दूर तक पहुंचते हैं और सभी शक्ति को महसूस करते हैं। गीता एपिसोड पुनः रिपीट हो रहा है निराकार शिव गीता का ज्ञान प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम से सुना रहे हैं तो सभी मनुष्य आत्माएं अपने स्वरूप को पहचान कर स्वधर्म को पहचान कर हम सभी आत्माओं का देश परमधाम जोकि सूरज चांद तारा गण से भी पार है स्वयं परमपिता परमात्मा अपना काम छोड़कर हम मनुष्य आत्माओं को पुनः गीता का ज्ञान देने के लिए प्रजापिता ब्रह्मा को अपना माध्यम बनाकर पुनः गीता का ज्ञान सुना रहे हैं।  इसके पश्चात सभी ने परमात्मा को याद कर गीता जयंती मनाई वह जन जन तक प्रभु पिता का संदेश देने के लिए सभी ने संकल्प किए। 

Related Articles

Back to top button