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चेनपुरिया माध्यमिक विद्यालय स्वच्छता अभियान की उड़ रही धज्जियां: शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों का हो रहा है जीवन बर्बाद

रामपुरा
रामपुरा तहसील मुख्यालय के समीपस्थ बैंसला संकुल के अंतर्गत आने वाला गांव चेनपुरिया ब्लॉक का माध्यमिक विद्यालय इन दिनों अपनी लापरवाही एवं अव्यवस्थाओं को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है विद्यालय में आने वाले बालक बालिकाओं को यहां मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वच्छता शौचालय तक बालक बालिकाओं के लिए उपलब्ध नहीं है इसके चलते बालक बालिकाओं को नित्य कर्म के लिए खुले में जाना पड़ता है जिसके चलते बालिकाओं को शर्मसार होना पड़ रहा है वैसे तो कहने को विद्यालय परिसर में सामुदायिक स्वच्छता परिसर बना हुआ है परंतु उक्त परिसर का उपयोग केवल शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए ही उपयोग में लाया जाता है उसके बाद उस पर ताला लगा दिया जाता है आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बावजूद आज भी विद्यालय में लाइट एवं बच्चों के लिए पंखों की व्यवस्था तक नहीं है बच्चे भीषण गर्मी में लथपथ होकर अध्ययन करने पर मजबूर हो रहे हैं साथ ही विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ना होने की वजह से विद्यालय में झाड़ू लगाना एवं साफ सफाई का काम विद्यालय के बच्चों से करवाया जाता है हमारे संवाददाता ने जब विद्यालय में जाकर व्यवस्थाओं का अवलोकन किया तो विद्यालय प्रमुख प्राचार्य दुर्गाशंकर ने जानकारी देते हुए बताया कि विद्यालय में पर्याप्त शिक्षकों की कमी के चलते हैं हम बड़ी ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते बच्चों का शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है साथ ही विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं होने के कारण उक्त स्थिति निर्मित हो रही है वही विद्यालय परिसर में विद्युत तार मैदान में काफी नीचे की ओर जोड़ रहे हैं जिसके कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है इस विषय में विद्यालय प्राचार्य ने बताया कि हमने पंचायत में इसकी सूचना काफी समय से दे रखी है परंतु अभी तक विद्युत तारों को ऊंचा नहीं किया गया शासन शासकीय विद्यालयों में विभिन्न मदों के माध्यम से ढेर सारा फंड विद्यालय को उपलब्ध करवाता है फिर भी शासकीय विद्यालयों में मूलभूत व्यवस्थाएं पंखे लाइट एवं सुविधा घर का ना होना विद्यालय प्रबंधन की लापरवाही पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है शासकीय विद्यालयों की किन्ही लापरवाही यों के चलते वर्तमान परिवेश में अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर निजी विद्यालयों की ओर अपना रुख कर रहे हैं जिसकी वजह से शासकीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में दिन-ब-दिन गिरावट देखी जा रही है

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